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Recent Submissions
All Papers UG English CE May 2025
(Avinashilingam, 2025) Avinashilingam
It is a previous year question papers of UG English held during May 2025.
கந்தபுராணத்தில் மெய்ப்பொருளியள் கூறுகள்
(அவினாசிலிங்கம், 2024-02) பவித்ரா க; முனைவர் சு பரணி
எட்டுத்தொகை அகநூல்களில் குறுந்தொகை ஐங்குறுநூறு உளவியல் படைப்பாக்கம்
(அவினாசிலிங்கம், 2024-03) சுதா ந; முனைவர் ச பிரியதர்சினி
தொல்காப்பியப் புறத்தினணயியல் நோக்கில் கலிகங்கத்துப்பரணி
(அவினாசிலிங்கம், 2024-07) மோகனப்பிரியா ச; முனைவர் குருஞானாம்பிகா
மெய்யியல் நோக்கில் ஞானககூத்தன்
(அவினாசிலிங்கம், 2024-03) ஆர்த்தி ர; முனைவர் ச பிரியதர்சினி
A Comparative Study of Mythology in the Novels of Narendra Kohli and Amish Tripathi (With Special Reference to Ram Katha Series)
(Avinashilingam, 2024-06) Niraja T K; Dr. G. Shanthi
ममथक दुननया के सबसे समृद्ध ऩौराणिक कहाननयों का एक खजाना है । इसका
अद्भु त एवॊ अनूठा ऩहऱू यह है कक सभी ऱोग अऩने देश या समाज के इन सददयों ऩुरानी
कहाननयों से ऩूिण रू ऩ से ऩररचित है । इन कहाननयों को हमे बिऩन में सुनाया जाता है
जो कऱ के मऱए एक अच्छे नागररक बनने के मऱए हमारे व् यक्ततत्व को आकार देता है ।
इसके साथ ममथक ककसी व् यक्तत से सॊबॊचधत ववरासत या सॊस् कृनत का ननमाणि में अहम भूममका ननभाती है। ममथक और ऱोक कथाएॉ ऱोगों की धमों का आधार बन जाती है क्
जनका वे सददयों से ऩाऱन करते आए हैं ।ममथकीय कहाननयों में जो बुराई और अच्छाई के बीि ऱडाई उल्ऱेणखत है उससे हमें नैनतक मूल् य सीखने को ममऱता है । ममथक ऩूवणजों के मऱए महत् वऩूिण थी ,आजभी महत् वऩूिणहैऔरहमेशा रहेगी। इसका प्र भाव इतना सशतत है कक कई मानवीय तकों में भी ममथक का प्र नतबबॊब छायाॊककत होता है । ममथक को महत् वऩूिण मानने के ऩीछे का सबसे मुख् य कारि यह है कक यह एक ऐसी कहानी है क् जसमें कुछ वास्तववक तथ्य शाममऱ है । एक ही ममथक में ववश्वास करने वाऱे ऱोगों के बीि कभी -कभीएकताभी होताहै । इनमें मतभेद होने की सॊभावना कम ददखाई देता है । ममथक को अऩने आऩ में यथाथण माना जाता है जो मनुष् य के अॊदर कृतज्ञ एवॊ आशा की भावना को जगाती है । इसी कारि से ममथक का मनुष् य ऩर प्र भाव के सॊबॊध में ताककण क रू ऩ से विणन करना कदठन है । ममथकीय सादहत्य के ऱेखन में ववमभन्न रिनाकारों ने अऩना महत् वऩूिण योगदान ददया है । उनमे नरेंद्र कोहऱी एवॊ अमीश बिऩाठी के ममथकीय उऩन्यासों ऩर मैंने शोध कायण ककया है ।
Adhunik Dalit Kahaniyon Mein Stri Chetana (Chunee Huyi Kahaniyon Ke Vishesh Sandarbh Mein)
(Avinashilingam, 2024-11) Arunima A M; Dr. Shobhana Kokkadan
बायतीम साहहत्म भें प्र ािीन साहहत्म से रेकय हहॊदी साहहत्म तक दशरत िगत का
धित्रर् फडे ऩैभाने ऩय देखने को शभरता है। इस सम् ऩ र् त बायतीम साहहत् म भें छुआछत की
ऩीडा, दशरत भहहराओॊ की सभस्मा औय उनके शोषर् िैसे अन्मामों के प्र तत आक्रोश औय
विद्रोह की अशबव् मजक् त हुई है। हिायों िषों से धभत , शास्त्र , ऩयॊऩया औय यीतत-रयिािों के
नाभ ऩय उनका खफ शोषर् ककमा गमा है। अनेक प्र काय की अऺ भताओॊ के कायर् न
केिर उनकी ऩहिान नगण्म यही है , फजकक उन्हें हभेशा गयीफी की खाई भें धकेरा गमा है ,
िो सैकडों ऩीह़िमों से िानियों से बी फदतय िीिन िीने को भिफ य हैं, धाशभतक औय
ऩायॊऩरयक रोगों द् िाया दशरतों का हय सॊदबत भें शोषर् ककमा िाता यहा है।
िषत १९९० के दशरत साहहत्म ऩय निय डारें तो मे िे फदराि थे िफ साभाजिक ,
आधथतक, यािनीततक औय साहहजत् मक ऺेत्रों भें प्र गतत हुई। दशरत साहहत्म १९९० से ऩहरे
बी शरखा गमा था रेककन दशरत भहहराओॊ की सभस्माओॊ को उस तयह से नहीॊ उठामा
गमा जिस तयह से १९९० के फाद उनकी सभस्माओॊ को उठामा गमा। बायतीम साभाजिक व्
मिस् था भें दशरत भहहराओॊ की जस् थतत फहुत दमनीम है। दशरत भहहराएॊ दोहये अशबशाऩ
से ग्रस् त हैं। ए क तो भहहरा होने का औय दसया दशरत भहहरा होने का। दशरत भहहराओॊ
का रेखन औय दशरत भहहराओॊ को केंद्र भें यखकय ककमा गमा रेखन भुख् म रू ऩ से
आधुतनक मुग की देन है। दशरत स्त्र ी िेतना सभाि औय साहहत्म भें दशरत भहहराओॊ के
फ़िते शोषर् का ऩरयर्ाभ है। बायतीम सभाि भें हभेशा से ही िातत के आधाय ऩय
भहहराओॊ के फीि बेदबाि होता यहा है। िातत आधारयत शोषर् के कायर् दशरत भहहराओॊ
के अजस् तत् ि को हभेशा से नकाया गमा है। उन् हें ऩ ॊिीिादी सभाि द् िाया उऩबोग की िस् तु
की तयह खयीदा औय फेिा िाता यहा है। दशरत भहहराएॊ इॊसान होते हुए बी िानियों की
तयह िीने को अशबशप्त हैं। सभाि भें अऻानता के अॊधकाय के कायर् उनका हय रू ऩ भें
शोषर् होता था। दशरत सभाि को सभाि भें अऩनी ब शभका स् थावऩत कयने के शरए हय
कदभ ऩय सॊघषों का साभना कयना ऩडा। सभकारीन हहॊदी दशरत कथा साहहत्म ऩय िफ
हभ निय डारते हैं तो मह फात साप तौय ऩय निय आती है। दशरत साहहत्मकायों ने
आठिें दशक भें ही दशरत साहहत् म भें अऩनी उऩजस् थतत दित कयानी शुरू कय दी थी।
अऩनी यिनाओॊ के भाध्मभ से मे रेखक उस सभाि की सच्िाई को रगाताय जिक्र कयने
रगे िो सहदमों से दफा यहने के शरए अशबशप्त था। िमतनत ‘दशरत’ कहातनमों भें
साभाजिक, यािनीततक, साॊस् कृततक, आधथतक, धाशभतक ऩरयप्रेक्ष् म भें फदरते हुए िीिन सॊदबत
भें दशरत स्त्र ी ककस प्र काय की िुनौती साभना कय यहा है। इसका विश्रेषर्ात्भक अध्ममन
ककमा गमा है। िततभान ऩरयदृश्म भें सॊिैधातनक अधधकायों औय िागरूकता अशबमानों के कायर्
बायतीम साभाजिक सॊयिना भें कापी फदराि देखने को शभर यहे हैं। रेककन सभाि भें
अबी बी स्त्र ी -ऩुरु ष, दशरत औय गैय-दशरत, अभीय औय गयीफ, ग्र ाभीर् औय शहयी , कारे
औय गोये के फीि गहयी खाई है। दशरत भहहराओॊ की हारत फद से फदतय है। हाराॉकक,
दशरतों औय भहहराओॊ की जस् थतत भें सुधायात्भक फदराि देखे िा यहे हैं। रेककन िातत ,
अऩभान, ततयस्काय , शोषर् औय उत् ऩीडन की भिफ त दीिाय को ऩ यी तयह से तोडने भें
सभम रगेगा, रेककन अच्छी खफय मह है कक अफ दशरत रेखकों औय भहहरा रेखकों द्
िाया दशरत भहहरा िीिन की बमािह त्र ासदी को सभाि के साभने राने औय उससे
फिाने के शरए एक सॊमुक् त प्र मास ककमा िा यहा है। रेककन दशरत भहहराएॊ अबी बी ऩ र् त रू
ऩ से ऩुरु षों की तयह िागरू क औय भिफ त नहीॊ हो ऩाई हैं। बायत की िततभान साभाजिक
सॊयिना भें इन दशरत भहहराओॊ की दमनीम जस् थतत औय उससे भुजक् त के उनके प्र मासों
का विश्रेषर् कयने औय रोगों को सभझाने के शरए भैंने 'आधुतनक दशरत कहातनमों भें स्त्र
ी िेतना (िुनी हुई कहातनमों के विशेष सन् दबत भें) विषम ऩय शोध कयना उधित सभझा।
अध् ममन की सुविधा के शरए शोध-प्र फॊध को कुर ऩाॉि अध्मामों भें विबक्त ककमा गमा है - प्र
थभ अध्माम - 'दशरत स्त्र ी िेतना एक अध्ममन ' भें ‘िेतना’ शब्द , अथत, ऩरयबाषा, दशरत
का ऩरयिम, दशरत स्त्र ी की अिधायर्ा , दशरत साहहत्म , बायतीम दशरत साहहत्म , कथा -
साहहत्म के विशबन्न ऩरयदृश्म - ऩय प्र काश डारा गमा है। द् वितीम अध्माम - 'हहन्दी की प्र भुख दशरत कहातनमाॉ एिॊ स्त्र ी ऩात्र ' शीषतक के अॊतगतत
आधुतनक दशरत कहातनमाॉ एिॊ स्त्र ी ऩात्रों का विश्रेषर् तक का अध्ममन ककमा है। दशरत स्त्र
ी ऩात्रों ऩय सॊघषत , ऩीडडत दशरत स्त्र ी , प्र ततयोध के आिास फनी दशरत स्त्र ी , तनडय दशरत स्त्र
ी का विशबन् न ऩहरुओॊ ऩय अध् ममन ककमा गमा है। तृतीम अध् माम - ‘दशरत स्त्र ी कहातनमों भें अजस्भ ता फोध एिॊ िीिन सॊघषत - िुनी हुई
कहातनमों के सन्दबत भें ’ इसभें दशरत स्त्र ी अजस्भता , िीिन सॊघषत की साभाजित, आधथतक,
साॊस् कृततक- धाशभतक ऩरयप्रेक्ष् म का विस् तृत अिरोकन ककमा गमा है। साथ ही िेतनाऩयक
आन्दोरनों से प्रे रयत दशरत जस्त्रमों द् िाया अऩनी अजस्भता को ििद भें यखने के सॊघषतऩयक प्र
मास का स क्ष् भ ऩयक अध्ममन ककमा गमा है। चतुथभ अध् माम का शीषतक है - 'दशरत स्त्र ी िेतना एिॊ प्र ततयोध िुनी हुई कहातनमों के
सन्दबत भें । प्रस् तुत अध् माम भें प्र ततयोध का ऐततहाशसक ऩरयदृश्म , दशरत स्त्र ी एिॊ प्र ततयोध
का साभाजिक, आधथतक, यािनैततक, धाशभतक, साॊस् कृततक ऩरयप्रेक्ष् म का विश् रेषर् ात् भक
अध्ममन ककमा गमा है। इसभें दशरत भहहराओॊ के प्र ततयोध के विशबन्न रू ऩ अॊककत ककमा
गमा है। ऩॊचभ अध्माम - 'आधुतनक दशरत कहातनमों का शशकऩ एिॊ बाषा िैशशष्ट् म' भें िुनी हुई
दशरत कहातनमों को शशकऩगत िैशशष्ट्म एिॊ बाषा िैशशष्ट्म के आधाय ऩय विबाजित ककमा
गमा है। शशकऩ, शशकऩ का अथत, ऩरयबाषा, स् िरूऩ , शशकऩगत िैशशष्ट् म के अॊतय विषमिस् तु,
कथानक, िरयत्र धित्रर् , देशकार तथा िाताियर् , शीषतक का प्र मोिन , बाषा शैरी को
अनुच् छेदों भें वििेधित ककमा गमा है। बाषा शैरी भें िर्तनात्भक शैरी , आत्भकथा शैरी , स्
िप्न शैरी , सॊिाद शैरी, धित्रात्भक शैरी , नाटकीम शैरी, पैटैसी आदी शैरी का
वििेिनात् भक अध् ममन प्रस् तुत ककमा गमा है। आधुतनक दशरत कहातनमों की बाषा
िैशशष्ट्म भें शब्द िमन के अॊतय तत्सभ तत्बि , देशि शब्द , अॊग्रेजी , अयफी पायसी को
सजम्भशरत ककमा गमा है। अध्मामों के फाद ‘उऩसॊहाय’ शीषतक के अन्तगतत अध्ममन -विश्रेषर् के साय सॊऺेऩ
के साथ-साथ अध् ममन का तनष् कषत प्रस् तुत ककमा गमा है। उसके फाद ‘सॊदबत ग्र ॊ थ स िी’ भें
अध् ममन के शरए प्र मुक् त आधाय ग्र ॊ थों एि सहामक ग्र ॊ थों का ऩरयिम हदमा गमा है।
अध् ममन के शरए उऩमोगी ऩत्रत्र काओॊ औय िेफसाइट की स िी बी तदनन् तय सभाहहत की
गमी है। अॊत भें ऩरयशशश्ट के अॊतगतत अऩने प्र काशशत शोध आरेख औय ‘प्रािारयसभ रयऩोटत ’
सॊक्न है। इस शोध प्र फॊद को अऩनी ऺ भता के अनुसाय त्रु हटहीन फनाने का बयसक प्र मास भैंने
ककमा है। कपय बी महद कोई त्रु हट मा कभी शेष यही है तो उसके शरए भैं ऺ भाऩाथी हॉ।
Hindi Filmon Mein Chitrit Queer Ka Jeevan Sangharsh Evam Samasyayen: Ek Adhyayan
(Avinashilingam, 2025-01) Abhirami C J; Dr. Shobhana kokkadan
साहहत्म औय सभाज का सॊफॊध अन्मोन्माश्रित है । सभाज के बफना साहहत्म की
ननर्भिनत नह ॊ कय सकते औय बफना साहहत्म के सभाज बी अऩना कोई भहत्त्व नह ॊ यखता। जजस तयह साहहत्म औय सभाज का सॊफॊध अर्बन्न है ठीक वैसे ह साहहत्म औय र् सनेभा का बी अटूट रयश् ता यहा है । साहहत्म सभाज को प्र नतबफॊबफत कयता है, जो उसकी सॊवेदनाओॊ, ववचायों औय प्र वृजत् तमों को उजागय कयता है, औय र् सनेभा इसी साहहत्म को दृश् म भाध्मभ भें फदरकय ववश्वबय के दर् ि कों तक ऩहॉचाता है । मह केवर भनोयॊजन का साधन नह ॊ , फजकक र्र्ऺ ा , जागरूकता औय साभाजजक ऩरयवतिन का र् जततर्ार उऩकयण है । फपकभें सभाज की सच् चाइमों को उजागय कयते हए उसे सोचने, सभझने औय फदरने की प्रे यणा देती हैं । साहहत् म औय र् सनेभा का सॊगभ दर् ि कों को उन कहाननमों औय भ द्दों से जोड़ता है , जो सभाज के हय वगि को छूते हैं ।साहहत्म ने सदैव सभाज के अनछए ऩहर ओॊ को साभने राने औय उन् हें ववस् ताय देने का काभ फकमा है । र् सनेभा ने इस प्र मास को जीवन देते हए व् मजततमों , वगों औय सभ दामों की कहाननमों को प्र बावर् ार ढॊग से प्रस् तत फकमा है । मह भाध्मभ न केवर सॊवेदनाओॊ औय अनबवों को श्र चबित कयता है, फजकक उन प्रश् नों औय ववचायों को बी साभने राता है जो अतसय अनदेखे यह जाते हैं । हार्र् ए ऩय खड़े वगों की आवाज़ फनते हए, र् सनेभा ने उनकी ऩयॊऩयाओॊ , साॊस् कृनतक ववववधताओॊ औय सभस् माओॊ को व् माऩक दर् ि कों तक ऩहॉचाने भें भदद की है । इसके साथ ह , मह भाध्मभ सभाज भें व् माप्त रू ह़िमों को चनौती देकय ऩरयवतिन औय प्र गनतर् ीरता की हदर् ा भें एक भजफूत बूर् भका ननबाता
है । साहहत्म औय र् सनेभा के इस तारभेर ने सभाज को एक जीवन्त दृ जटटकोण प्र दान
फकमा है ।नब्फे के दर्क के फाद बायत भें हार्र्ए के ववभर्ों की चचाि ने एक नई हदर्ा प्र ाप्त
की । इसभें दर्रत ववभर्ि , आहदवासी ववभर्ि , अकऩसॊख्मक ववभर्ि , ऩमािवयण ववभर्ि , हदव्माॊग ववभर्ि , फार ववभर्ि , वृद्ध ववभर् ि के साथ-साथ एर जी फी ट तमू (LGBTQ) मा तवीय ववभर् ि /र् सद्ध ाॊत प्र भखता से उबये । इन ववभर्ों ने सभाज भें उऩेक्षऺत औय हार्र्ए ऩय खड़े सभ दामों की आवाज को स् थान हदमा औय उनकी अजस्भता , अश्रधकायों औय अजस्तत्व को नई ऩहचान प्र दान की ।तवीय र् सद्धाॊत उत्तय -सॊयचनावादर् सद्ध ाॊत का एक भहत् वऩूणि ऺे ि है, जजसका उद्भव 1990 के दर् क भें तवीमय अध् ममन तथा स् िी अध् ममन के ऺे ि भें हआ है । ‘तवीय’ एक ऐसा व् माऩक र्ब् द है, जो उन सबी व् मजततमों को सजमभर्रत कयता है जो 'ववषभरैंश्रगकता ' औय ‘र्ससजेंडय ’ की ऩायॊऩरयक ऩरयबाषाओॊ से र् बन्न हैं । मह उन रोगों की ऩहचान को सॊदर्बित कयता है जजनकी ‘रैंश्रगक ऩहचान ’ ऩायॊऩरयक स् िी -ऩ रु ष की धायणाओॊ से ऩये है, मा
जजनकी ‘मौननकता’ सभाज द् वाया स् वीकृत रू ह़ि गत भानकों के अन रू ऩ नह ॊ है ।
छोट उम्र से ह भ झे ववर् बन् न र्ैर् रमों (जॉनय) की फ़िकभें देखने का र् ौक यहा है ,
औय इसी दौयान भेय नज़य एर जी फी ट थीभ ऩय आधारयत फ़िकभों ऩय ऩड़ी , जजन्होंने
इस ऺे ि भें भेयरुश्र च को जागृत फकमा । इन फ़िकभों ने न केवर भेये बीतय इस सभ दाम
के जीवन के प्र नत जजऻासा फ़िाई , फजकक उनके साभने आने वार चनौनतमों औय सॊघषों को
सभझने की प्रे यणा बी द । इसी अनबव ने भ झे ‘हहन्द फपकभों भें श्र चबित तवीय का
जीवन सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ: एक अध्ममन ’ ववषम को र् ोध के रू ऩ भें चनने के र् रए प्रे रयत फकमा । सभाज भें तवीय सभ दाम के प्र नत व् माप् त बेदबाव, अस् वीकृनत, कानूनी बेदबाव,आश्रथिक औय साभाजजक अरगाव , र्ैऺ णणक सॊस्थानों भें उत्ऩीड़न औय भीडडमा भें नकायात् भक श्र चिण जैसे ऩहर ओॊ ने भेये ववचायों को गहयाई से प्र बाववत फकमा । तवीय
सभ दाम के सॊघषों का भज़ाक उड़ाने मा उन्हें औय अश्रधक हार्र्ए ऩय धकेरने के फजाम ,
भ झे एहसास हआ फक एर जी फी ट तम सभ दाम की वास् तववकताओॊ को ऩहचानना औय
गहयाई से सभझना अश्र धक वाॊछनीम औय भहत् वऩूणि है । इस र् ोध का उद्देश्म हहन्द
र्सनेभा के भाध् मभ से तवीय सभ दाम के जीवन औय सॊघषों को उजागय कयना औय सभाज
भें सभानता एवॊ जागरूकता को फ़िावा देना है । प्रस्तत र् ोध-प्रफॊध को ऩाॉच अध्मामों भें फाॉटा गमा है - अध्माम -१ तवीय : अवधायणा एवॊ स् वरूऩअध्माम -२ हहन्द फपकभों भें श्र चबित ‘रेजस्फ मन’- सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ अध्माम -३ हहन्द फपकभों भें श्र चबित ‘गे’- सॊघषि एवॊ सभस्माएॉअध्माम -४ हहन्द फपकभों भें ननरूवऩत ‘थडि जेंडय’-सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ
अध्माम -५ हहन्द फपकभों भें तवीय : अर्बव्मजतत ऩऺप्रथभ अध्माम ‘तवीय : अवधायणा एवॊ स् वरूऩ ’ भें ‘तवीय’ र्ब् द औय सभ दाम का सॊक्षऺप्त ऩरयचम , ववर्बन्न ववद्वानों द् वाया द गई ऩरयबाषाओॊ ऩय चचाि की गई है । उऩ- र् ीषिक के अॊतगित रैंश्रगक अवधायणा , तवीय-उद्भव एवॊ इनतहास , तवीय-प्रकाय , तवीय- धभि सॊफॊधी भान्मताएॉ , हहन्द साहहत्म भें तवीय ववभर्ि ऩय अध्ममन फकमा गमा है । द् ववतीम अध्माम का र् ीषिक है ‘हहन्द फपकभों भें श्र चबित ‘रेजस्फ मन’-सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ ’। इस अध्माम को तीन उऩ - र् ीषिकों भें ववबाजजत कयके इसको क्र भर्् हहॊदर् सनेभा का सॊक्षऺप्त ऩरयचम , र् ोध के र् रए चमननत हहन्द फपकभों भें श्र चबित रेस्फीमन फपकभों की सूची एवॊ कथानक को प्रस् तत कयके इन्हें साभाजजक, भनोवैऻाननक, वऩतृसत् तात् भक, याजनैनतक, धार्भिक ऩरयप्रेक्ष्म के आधाय ऩय उनके सॊघषि एवॊ सभस्माओॊ का ववश्रेटणात्भक अध्ममन फकमा गमा है ।तृतीम अध् माम का र् ीषिक है ‘हहन्द फपकभों भें श्र चबित ‘गे’- सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ ’।
इस अध्माम को तीन उऩ -अध्मामों भें ववबाजजत फकमा गमा है । इसभें ‘गे’ र्ब् द के उद्भव
औय ववकास ऩय चचाि की गई है । साथ ह , गे भ द्दों ऩय फनी हहन् द फपकभों के कथानक
को अध् ममन का हहस् सा फनाते हए, उनके साभाजजक, भनोवैऻाननक, वऩतृसत् तात् भक,
याजनैनतक औय धार्भिक ऩरयप्रेक्ष्म के आधाय ऩय ववश्रेषण फकमा गमा है । इस ववश्रेषण
के भाध् मभ से उनके अनबवों औय न् मामसॊगत अश्र धकायों का ववचायात् भक अध् ममन प्रस् तत फकमा गमा है ।चतथि अध् माम ‘हहन्द फपकभों भें ननरूवऩत ‘थडि जेंडय’ - सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ ’ र् ीषिक के अॊतगित बायतीम र् सनेभा भें थडि जेंडय (हहजड़ ा/फकन् नय सभ दाम) के श्र चिण औय उनके जीवन सॊघषों को गहयाई से सभझने का प्र मास फकमा है । प्रस् तत अध् माम को तीन उऩ- अध्मामों भें ववबाजजत फकमा गमा है , जजसभें थडि जेंडय के जीवन, सभाज भें उनकी जस्थनत औय उनके सॊघषों का ववर्बन्न दृ जटटकोणों से ववश्रेषण फकमा गमा है । इस अध्माम भें हहन्दर् सनेभा भें थडि जेंडय के ऐनतहार्सक औय सभकार न श्र चिण को स् ऩटट कयते हए र् ोध के र् रए चमननत फपकभों के भाध्मभ से उनके जीवन औय सॊघषों की ओय इर् ाया फकमा गमा है । इन फपकभों के कथानक साभाजजक , याजनीनतक, धार्भिक औय ऩारयवारयक सॊदबों के आधाय ऩय ववश्रेषण फकमा गमा है ।ऩॊचभ अध्माम का र् ीषिक ‘हहन्द फपकभों भें तवीय: अर्बव्मजतत ऩऺ ’ है । इस
अध्माम भें फपकभ का अथि, ऩरयबाषा, बाषा औय प्रस् ततीकयण ऩय ववस् ताय से चचाि की
गई है । फपकभ की करा औय तकनीकी ऩऺों का ववश् रेषण कयते हए ऩटकथा,
सॊवाद, अर्बनम, बाषा, सॊगीत, छामाॊकन, दृश् म मोजना औय सॊऩादन का अवरोकन फकमा
गमा है ।‘उऩसॊहाय’ भें ननटकषि के तौय ऩय सभूचे अध् ममन का साय प्रस् तत फकमा गमा है । र् ोध प्र फॊध भें ‘हहन्द फपकभों भें श्र चबित तवीय का जीवन सॊघषि एवॊ सभस्माएॉ ’ के सॊदबि भें जजन आमाभों को खोजा गमा है, उनका वववेचन है औय र् ोध प्र फॊध का सभाऩन आधाय ग्रन् थ सूची, र्ब् द कोर् एवॊ ऩि-ऩबिकाओॊ, वेफसाइट के वववयण के साथ प्रस् तत फकमा गमा है ।
Impact of Capital Structure and Dividend Policy on Firm value of select Pharmaceutical companies in India
(Avinashilingam, 2023-11) Yazhini B; Dr. D.Geetha
The major objective of any organization is to attain the optimal capital structure
and the proper dividend decision which enhances the firm value.It was always a challenge
to make a proper decision and it is also a vital issue in corporate finance.Capital structure
and dividend policy are the examples of financing and investment decisions that affect the
level of funds available in the firm. So, this study is conducted, to examine the impact of
capital structure and dividend policy on firm value of select Pharmaceutical Companies in
India.This research study has selected 31 companies belonging to Pharmaceutical industry
in India. It is categorized into three sections; Large Capital Companies, Mid Capital
Companies and Small Capital Companies. These sample companies were selected on the
basis of Average Market Capitalization and their enlistment in BSE. The Descriptive
Statisitics, Correlation, Multiple Regression Analysis, Panel Data Regression Analysis,
Compound Annual Growth Rate and Trend Analysis were the tools used to analyze the
data from 2007 to 2021.This study also gives a theoretical contribution to the future
researchers. From the research the analysis indicates confirmation of Pecking Order
Theory and Trade off Theory in the case of capital structure and the Dividend Relevance
Theory according to the dividend policy of select Pharmaceutical Companies in India
This research study findings on implementation will enhance the financial strength
and financial stability in Pharmaceutical Industry. This industry will contribute
significantly to the economic development of India.
Keywords : Capital Structure, Dividend Policy, Firm Value, Panel Data Regression and
Pharmaceutical Companies in India.
வேலை வாய்ப்பு பொது இயக்குனரகம் தொழிலாளர் மற்றும் வேலைவாய்ப்பு அமைச்சகம்
(தின தந்தி, 2025-05-10) தின தந்தி