Browsing by Author "Shameena T"
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Item Chandrakanta Ke Upanyason Mein Stri Swatva Ke Vividh Roop(Avinashilingam, 2024-08) Shameena T; Dr.Shobana Kokkadanाक्कथन साहहत् म भनुष् म के अॊतभवन की यिनात् भक अशबव् मस्क् त है तथा साहहत् म औय सभाज एक दूसये के ऩूयक होते हैं। साहहत् मकाय मुगीन स् टथततमों औय सभटमाओॊ का सूक्ष् भ तनयीऺण कयता है औय अऩनी यिनाओॊ भें कई कथा -प्रसॊगों औय ऩात्रों के भाध्मभ से उन स् टथततमों अथर् ा सभटमाओॊ के फाये भें अऩने वर्िायों को प्रत् मऺ र् ऩयोऺ रू ऩ से व् मक्त कयता है। उनके वर्िाय , प्र ततफद्धता , सॊकल्ऩ , सॊर्ेदना , ईभानदायी, तिटथता, भूल् म-तनयीऺण की ऺ भता , भानर् -जातत के उज्जज्जर्र बवर्ष्म की धिन्ता औय तथ्मों का सभथव तनयीऺण कयउन्हें मथाथवर्त अॊ ककत कयने की िस्क् त ऩय उसकी यिना की सोद्देश् मता औय भूल् मर्त् ता तनबवय यहती हैं। आधुतनक मुग भें साभास् जक जीर् न के मथाथव ऩऺों को दिावने र् ारी कई यिनाएॉ हहन् दी भें प्र काशित हुई हैं। आधुतनक हहन् दी साहहत् म की रोकवप्र म वर् धा के रू ऩ भें उऩन् मास का वर् कास हुआ है। उऩन्मास वर्श्र् -साहहत् म की सर् ावधधक रोकवप्र म एर् ॊ फहुिधिवत वर् धा है। भानर् -सभाज के मथाथव ऩऺों का टऩिव कय सभकारीन हहन्दी उऩन्मास उच्ि जीर्नदिों को सपरताऩूर् व क व् मक् त कय यहा है। हहन् दी उऩन् मास के प्र गतत एर्ॊ वर्कास केशरए रेखखकाओॊ का मोगदान अभूल् म एर् ॊ धियटभयणीम है। आधुतनक मुग भें स् जन रेखखकाओॊ ने हहन् दी उऩन्मास साहहत्म भें अऩनी अरग ऩहिान फनाई है , स् जनभें कश्भीय भें जन्भी अहहन्दी बाषी हहन्दी साहहत्म साधधका श्र ीभती िन्रकान्ता का अनोखा टथान है। िन्रकान्ता कश्भीय भें जन्भी , ऩरी, फढ़ी, अतएर् उनके उऩन्मासों भें कश्भीयी सभाज भें नागरयकों के जीर्न भें सॊघषव-िेतना औय उनकी सभटमाओॊ को अशबव्मस्क्त शभरी है। िन् रकान् ता के सात उऩन् मास प्र काशित हुए- ‘अथाशन्द्तय ’, ‘अॊततभ साक्ष्म ’, ‘फाकी सफ खैरयमत है’, ‘ऐरान गरी ज़िन्द्दा है ’, ‘महाॉ ववतस्त्ता फहती है’, ‘अऩने-अऩने कोणाकश ’, ‘कथा सतीसय’। उनके उऩन्मास साहहत्म अऩने सभम औय सभाज का प्र ाभाखणक दटतार्े ज़ है। उन्होंने उऩन्मासों के भाध्मभ से सभकारीन मुग-जीर्न के प्रश् नों , भूल् मों , सॊघषों , सम्फन्धों आहद की व् माख् मा के नेऩथ् म भें साभान् म रोगों की सभटमाओॊ को टर् य देने का अनूठा प्र मास ककमा है। रेखखका ने इन उऩन्मासों भें अऩने प्र तततनधध ऩात्रों के भाध्मभ से भानर्ीम अधधकाय औय अस् टभता से जुड़े प्रश् नों को उठामा है। मुगीन सभटमाओॊ के प्र तत उनकी दृस्ष् ि तनतान् त भौशरक शसद्ध हुई है। र्ै िारयक प्र ततफद्ध ता, साभास्जक दातमत्र् , सॊर्ेदनिीरता औय फेहद ईभानदायी के कायण अऩने उऩन् मासों भें मुगीन स् टथततमों का तिटथ वर्श् रेषण कयने औय सभटमाओॊ को मथाथव के धयातर ऩय अशबव्मस्क्त देने भें िन्रकान्ता को सपरता शभरी है। टत्री टर्त्र् की अशबव्मस्क्त की दृस्ष् ि से इनकी उऩन्मासों की वर्शिष्िता को प्र ाभाखणक ढॊग से तनरूवऩत कयने के उद्देश्म को रेकय भैं ने ‘चन्द्रकान्द्ता के उऩन्द्मासों भें स्त् री स्त् वत्व के ववववध रू ऩ ’ को अऩने िोध-वर्षम के रू ऩ भें टर्ीकाय ककमा है। अध् ममन की सुवर् धा को ध् मान भें यखते हुए प्र टतुत िोध प्र फन्ध को ऩाॉि अध्मामों भें वर्बास्जत ककमा गमा है। प्र थभ अध्माम का िीषवक है ‘सभकारीन हहन्द्दी उऩन्द्मास औय स्त् री ववभर्श: नमी हदर्ाएॉ एवॊ उऩरज़धधमाॉ ’ भें सभकारीनता का ऩरयबाषा, अथव एर्ॊ टर्रूऩ , सभकारीन भहहरा रेखन की प्र भुख प्रर्ृस्त् तमाॉ जैसे, बूभण् डरीकयण-ऩमावर्यण सजगता एर्ॊ आधथवक उदायीकयण, उऩबोक्तार्ाद का प्र साय , तकनीकी क्र ास्न्त , भीडडमा का प्र बार् ,साम्प्रदातमकता , आतॊकर्ाद , दशरत वर्भिव , टत्री वर्भिव ऩय गहन अध्ममन ककमा गमा है। भहहरा उऩन् मास रेखन की ऩृष् ठबूशभ का साभान् म ऩरयिम देने के साथ प्र थभ भहहरा उऩन्मासकाय , सभकारीन भहहरा उऩन् मासकायों की सृजन की अस् टभताओॊ ऩय प्र काि डारा गमा है। इसके अरार् ा प्र टतुत अध् माम भें िन् रकान् ता का व् मस्क् तत्र् एर् ॊ कृततत्र् ऩय वर्श् रेषणात् भक अध् ममन कयते हुए उनकी जीर् नर्ृत् त, जन्भ तथा ऩरयर्ाय , यिना सॊसाय, ऩुयटकाय एर् ॊ सम्भान आहद ऩय वर्िाय ककमा गमा है। ऩयम्ऩयागत टत्री की आदिवर्ादी रकीय से हिकय जीने र् ारी िन् रकान् ता का व् मस्क् तत्र् एर् ॊ कृततत्र् ऩयटऩय सम्फस्न्धत यहते हैं। उनके कतवव् मिीर व् मस्क् तत्र् औय व् मस्क् तत्र् से जुड़े कृततत्र् का अध् ममन इस अध् माम की वर्िेषता है। इसी अध्माम भें आऩके उऩन्मासों , कहातनमों , आत्भकथात्भक सॊटभयणों का बी ऩरयिम हदमा गमा है।द्वर्तीम अध्माम ‘स्त्री स्त् वत्व के नए अथश एवॊ सन्द्दबश ’ भें टर्त्र्: टर्रू ऩ एर्ॊ अर्धायणा , टत्री टर्त्र्: ऩरयबाषा , टत्र ी व् मुत् ऩस्त् तगत अथव ऩय वर् िाय ककमा गमा है। वर् शबन् न बायतीम सन्दबव भें टत्री टर्त्र् के टर्रूऩ ; र्ै हदक कार , भहाकाव्म कार , जैन औय फौद्ध कार, भध् ममुगीन कार, आधुतनक कार आहद उऩिीषवकों के अन्तगवत टत्री टर्त्र् के टर्रूऩ ऩय प्र काि डारा गमा है। टत्री टर्त्र् के नए सन्दबव एर्ॊ ऩाश्िात्म दृस्ष् ि , टत्री टर्त्र् के नए अथव सन्दबव एर् ॊ ऩुरु ष प्र धान सभाज, टत्री टर्त्र् की अर्धायणा एर्ॊ साहहस्त्मक दृस्ष् ि , हहन्दी उऩन्मा सों भें टत्री िेतना का वर्कास आहद वर्षमों का अर्रोकन ककमा गमा है।तृतीम अध् माम ‘चन्द्रकान्द्ता के उऩन्द्मासों भें स्त् री स्त् वत्व के ववववध रू ऩ ’ है। प्र टतुत अध्माम के अन्तगवत सात उऩन्मासों का अध्ममन , टत्री टर्त्र् के वर्वर्ध रू ऩ जैसे प्र ािीन वर्िायधाया से प्र बावर्त टत्री , आधुतनक वर् िायधाया से ओतप्र ोत टत्र ी, ऩारयर्ारयक टनेह सौहादव टत्री , असपर दाम्ऩत्म जीर्न बफतानेर्ारी टत्री , वर्र् ाह ऩूर् व एर् ॊ वर्र् ाहेतय प्रे भ औय मौन सम् फन् धों भें पॉसी टत्र ी, ककिोयार् टथा भें ककए प्रे भ भें पॉसी टत्र ी, अनभेर वर्र्ाह से त्र टत टत्री , िोषण के शिकाय फनी टत्री , अकेराऩन से तनार्िटत एर्ॊ सॊघषवबरयत उदासीन टत्री , र्ृद्ध ार् टथा भें टत्र ी, ऩके उम्र भें अनब्माही टत्री , आतॊकर्ाद से त्र टत टत्री का धित्रण ककमा गमा है। टर्बार् वर्िेष के आधाय ऩय टत्री टर्त्र् के वर्वर्ध रू ऩ का साहसी, सेर्ाबार्ी , टत्री के खखराप टत्री , प्रे भी के इन्तज़ाय भें टत्री , वर् िाय औय बार् ना के द्र्न्द्र् भें पॉसी टत्र ी, दहेज प्र था से वर्योधी टत्री आहद उऩिीषवकों के अध्ममन ककमा गमा है। ‘चन्द्रकान्द्ता के स्त् री ऩार , अज़स्त्भता की तरार् , प्र ततयोध औय सभस्त्माएॉ ’ िीषवक ितुथव अध्माम भें उनके उऩन् मासों भें धिबत्र त प्र भुख टत्र ी ऩात्रों की ििाव की गई है जैसे,टत्री अस्टभता की तराि का वर्श्रेषणात्भक अध्ममन , अस्टभता अथव एर्ॊ टर्रूऩ , टत्री अस्टभता का टर्रूऩ , टत्री अस्टभता की तराि , उऩन्मासों भें धिबत्रत टत्री टर्त्र् की सभटमाओॊ के वर्र्ध रू ऩ जैसे ऩारयर्ारयक , साभास्जक , आधथवक, याजनीततक औय आतॊकर्ाद से जुड़ी सभटमाएॉ औय धाशभवक र् साॉटकृततक सभटमाओॊ ऩय वर्िाय वर्भिव ककमा है। ऩॊिभ अध्माम ‘चन्द्रकान्द्ता के उऩन्द्मासों की बावषक सॊयचना ’ भें, उऩन्मा सों भें शिल्ऩ वर्धान , शिल्ऩ: अथव , शिल्ऩ: ऩरयबाषा , शिल्ऩ: टर्रूऩ , शिल्ऩागत र्ै शिष्ट्म - कथानक, िरयत्र धित्रण , कथोऩकथन, देिकार र् ातार्यण , बाषा िैरी, उद्देश्म , िीषवक की साथवकता, बाषागत र्ै शिष्ट्म का वर्श्रेषणात्भक अध्ममन ककमा गमा है।प्रत् मेक अध्माम के अन्त भें तद्वर्षमक अध्ममन का तनष्कषव देकय िोध प्र फन्ध को अधधक टऩष्ि रू ऩ प्र दान कयने का प्र मास ककमा गमा है। अध्मामों के फाद ‘उऩसॊहाय’ िीषवक के अन्तगवत अध्ममन –वर्श्रेषण के साय सॊऺेऩ के साथ -साथ अध् ममन का तनष् कषव प्र टतुत ककमा गमा है। उसके फाद ‘सन् दबव िन् थ सूिी’ भें अध् ममन केशरए प्र मुक् त आधाय िन् थों एर्ॊ सहामक िन्थों का ऩरयिम हदमा गमा है। अध्ममन केशरए उऩमोगी ऩबत्रकाओॊ औय र्े फसाइट् की सूिी बी तदनन् तय सभाहहत की गमी है। अन् त भें ऩरयशिष् ि के अन् तगवत अऩने प्र काशित िोध आरेख , रेखखका के साथ साऺात्का य भें प्र मुक् त प्रश् नोत् तयी, रेखखका द्र् ाया शरखखत आिीर्विन ऩत्र औय ‘प्राजारयसभ रयऩोिव ’ प्र टतुत है।