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Browsing by Author "Niraja T K"

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    A Comparative Study of Mythology in the Novels of Narendra Kohli and Amish Tripathi (With Special Reference to Ram Katha Series)
    (Avinashilingam, 2024-06) Niraja T K; Dr. G. Shanthi
    ममथक दुननया के सबसे समृद्ध ऩौराणिक कहाननयों का एक खजाना है । इसका अद्भु त एवॊ अनूठा ऩहऱू यह है कक सभी ऱोग अऩने देश या समाज के इन सददयों ऩुरानी कहाननयों से ऩूिण रू ऩ से ऩररचित है । इन कहाननयों को हमे बिऩन में सुनाया जाता है जो कऱ के मऱए एक अच्छे नागररक बनने के मऱए हमारे व् यक्ततत्व को आकार देता है । इसके साथ ममथक ककसी व् यक्तत से सॊबॊचधत ववरासत या सॊस् कृनत का ननमाणि में अहम भूममका ननभाती है। ममथक और ऱोक कथाएॉ ऱोगों की धमों का आधार बन जाती है क् जनका वे सददयों से ऩाऱन करते आए हैं ।ममथकीय कहाननयों में जो बुराई और अच्छाई के बीि ऱडाई उल्ऱेणखत है उससे हमें नैनतक मूल् य सीखने को ममऱता है । ममथक ऩूवणजों के मऱए महत् वऩूिण थी ,आजभी महत् वऩूिणहैऔरहमेशा रहेगी। इसका प्र भाव इतना सशतत है कक कई मानवीय तकों में भी ममथक का प्र नतबबॊब छायाॊककत होता है । ममथक को महत् वऩूिण मानने के ऩीछे का सबसे मुख् य कारि यह है कक यह एक ऐसी कहानी है क् जसमें कुछ वास्तववक तथ्य शाममऱ है । एक ही ममथक में ववश्वास करने वाऱे ऱोगों के बीि कभी -कभीएकताभी होताहै । इनमें मतभेद होने की सॊभावना कम ददखाई देता है । ममथक को अऩने आऩ में यथाथण माना जाता है जो मनुष् य के अॊदर कृतज्ञ एवॊ आशा की भावना को जगाती है । इसी कारि से ममथक का मनुष् य ऩर प्र भाव के सॊबॊध में ताककण क रू ऩ से विणन करना कदठन है । ममथकीय सादहत्य के ऱेखन में ववमभन्न रिनाकारों ने अऩना महत् वऩूिण योगदान ददया है । उनमे नरेंद्र कोहऱी एवॊ अमीश बिऩाठी के ममथकीय उऩन्यासों ऩर मैंने शोध कायण ककया है ।

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