Browsing by Author "Dr. Shobhana Kokkadan"
Now showing 1 - 1 of 1
Results Per Page
Sort Options
Item Adhunik Dalit Kahaniyon Mein Stri Chetana (Chunee Huyi Kahaniyon Ke Vishesh Sandarbh Mein)(Avinashilingam, 2024-11) Arunima A M; Dr. Shobhana Kokkadanबायतीम साहहत्म भें प्र ािीन साहहत्म से रेकय हहॊदी साहहत्म तक दशरत िगत का धित्रर् फडे ऩैभाने ऩय देखने को शभरता है। इस सम् ऩ र् त बायतीम साहहत् म भें छुआछत की ऩीडा, दशरत भहहराओॊ की सभस्मा औय उनके शोषर् िैसे अन्मामों के प्र तत आक्रोश औय विद्रोह की अशबव् मजक् त हुई है। हिायों िषों से धभत , शास्त्र , ऩयॊऩया औय यीतत-रयिािों के नाभ ऩय उनका खफ शोषर् ककमा गमा है। अनेक प्र काय की अऺ भताओॊ के कायर् न केिर उनकी ऩहिान नगण्म यही है , फजकक उन्हें हभेशा गयीफी की खाई भें धकेरा गमा है , िो सैकडों ऩीह़िमों से िानियों से बी फदतय िीिन िीने को भिफ य हैं, धाशभतक औय ऩायॊऩरयक रोगों द् िाया दशरतों का हय सॊदबत भें शोषर् ककमा िाता यहा है। िषत १९९० के दशरत साहहत्म ऩय निय डारें तो मे िे फदराि थे िफ साभाजिक , आधथतक, यािनीततक औय साहहजत् मक ऺेत्रों भें प्र गतत हुई। दशरत साहहत्म १९९० से ऩहरे बी शरखा गमा था रेककन दशरत भहहराओॊ की सभस्माओॊ को उस तयह से नहीॊ उठामा गमा जिस तयह से १९९० के फाद उनकी सभस्माओॊ को उठामा गमा। बायतीम साभाजिक व् मिस् था भें दशरत भहहराओॊ की जस् थतत फहुत दमनीम है। दशरत भहहराएॊ दोहये अशबशाऩ से ग्रस् त हैं। ए क तो भहहरा होने का औय दसया दशरत भहहरा होने का। दशरत भहहराओॊ का रेखन औय दशरत भहहराओॊ को केंद्र भें यखकय ककमा गमा रेखन भुख् म रू ऩ से आधुतनक मुग की देन है। दशरत स्त्र ी िेतना सभाि औय साहहत्म भें दशरत भहहराओॊ के फ़िते शोषर् का ऩरयर्ाभ है। बायतीम सभाि भें हभेशा से ही िातत के आधाय ऩय भहहराओॊ के फीि बेदबाि होता यहा है। िातत आधारयत शोषर् के कायर् दशरत भहहराओॊ के अजस् तत् ि को हभेशा से नकाया गमा है। उन् हें ऩ ॊिीिादी सभाि द् िाया उऩबोग की िस् तु की तयह खयीदा औय फेिा िाता यहा है। दशरत भहहराएॊ इॊसान होते हुए बी िानियों की तयह िीने को अशबशप्त हैं। सभाि भें अऻानता के अॊधकाय के कायर् उनका हय रू ऩ भें शोषर् होता था। दशरत सभाि को सभाि भें अऩनी ब शभका स् थावऩत कयने के शरए हय कदभ ऩय सॊघषों का साभना कयना ऩडा। सभकारीन हहॊदी दशरत कथा साहहत्म ऩय िफ हभ निय डारते हैं तो मह फात साप तौय ऩय निय आती है। दशरत साहहत्मकायों ने आठिें दशक भें ही दशरत साहहत् म भें अऩनी उऩजस् थतत दित कयानी शुरू कय दी थी। अऩनी यिनाओॊ के भाध्मभ से मे रेखक उस सभाि की सच्िाई को रगाताय जिक्र कयने रगे िो सहदमों से दफा यहने के शरए अशबशप्त था। िमतनत ‘दशरत’ कहातनमों भें साभाजिक, यािनीततक, साॊस् कृततक, आधथतक, धाशभतक ऩरयप्रेक्ष् म भें फदरते हुए िीिन सॊदबत भें दशरत स्त्र ी ककस प्र काय की िुनौती साभना कय यहा है। इसका विश्रेषर्ात्भक अध्ममन ककमा गमा है। िततभान ऩरयदृश्म भें सॊिैधातनक अधधकायों औय िागरूकता अशबमानों के कायर् बायतीम साभाजिक सॊयिना भें कापी फदराि देखने को शभर यहे हैं। रेककन सभाि भें अबी बी स्त्र ी -ऩुरु ष, दशरत औय गैय-दशरत, अभीय औय गयीफ, ग्र ाभीर् औय शहयी , कारे औय गोये के फीि गहयी खाई है। दशरत भहहराओॊ की हारत फद से फदतय है। हाराॉकक, दशरतों औय भहहराओॊ की जस् थतत भें सुधायात्भक फदराि देखे िा यहे हैं। रेककन िातत , अऩभान, ततयस्काय , शोषर् औय उत् ऩीडन की भिफ त दीिाय को ऩ यी तयह से तोडने भें सभम रगेगा, रेककन अच्छी खफय मह है कक अफ दशरत रेखकों औय भहहरा रेखकों द् िाया दशरत भहहरा िीिन की बमािह त्र ासदी को सभाि के साभने राने औय उससे फिाने के शरए एक सॊमुक् त प्र मास ककमा िा यहा है। रेककन दशरत भहहराएॊ अबी बी ऩ र् त रू ऩ से ऩुरु षों की तयह िागरू क औय भिफ त नहीॊ हो ऩाई हैं। बायत की िततभान साभाजिक सॊयिना भें इन दशरत भहहराओॊ की दमनीम जस् थतत औय उससे भुजक् त के उनके प्र मासों का विश्रेषर् कयने औय रोगों को सभझाने के शरए भैंने 'आधुतनक दशरत कहातनमों भें स्त्र ी िेतना (िुनी हुई कहातनमों के विशेष सन् दबत भें) विषम ऩय शोध कयना उधित सभझा। अध् ममन की सुविधा के शरए शोध-प्र फॊध को कुर ऩाॉि अध्मामों भें विबक्त ककमा गमा है - प्र थभ अध्माम - 'दशरत स्त्र ी िेतना एक अध्ममन ' भें ‘िेतना’ शब्द , अथत, ऩरयबाषा, दशरत का ऩरयिम, दशरत स्त्र ी की अिधायर्ा , दशरत साहहत्म , बायतीम दशरत साहहत्म , कथा - साहहत्म के विशबन्न ऩरयदृश्म - ऩय प्र काश डारा गमा है। द् वितीम अध्माम - 'हहन्दी की प्र भुख दशरत कहातनमाॉ एिॊ स्त्र ी ऩात्र ' शीषतक के अॊतगतत आधुतनक दशरत कहातनमाॉ एिॊ स्त्र ी ऩात्रों का विश्रेषर् तक का अध्ममन ककमा है। दशरत स्त्र ी ऩात्रों ऩय सॊघषत , ऩीडडत दशरत स्त्र ी , प्र ततयोध के आिास फनी दशरत स्त्र ी , तनडय दशरत स्त्र ी का विशबन् न ऩहरुओॊ ऩय अध् ममन ककमा गमा है। तृतीम अध् माम - ‘दशरत स्त्र ी कहातनमों भें अजस्भ ता फोध एिॊ िीिन सॊघषत - िुनी हुई कहातनमों के सन्दबत भें ’ इसभें दशरत स्त्र ी अजस्भता , िीिन सॊघषत की साभाजित, आधथतक, साॊस् कृततक- धाशभतक ऩरयप्रेक्ष् म का विस् तृत अिरोकन ककमा गमा है। साथ ही िेतनाऩयक आन्दोरनों से प्रे रयत दशरत जस्त्रमों द् िाया अऩनी अजस्भता को ििद भें यखने के सॊघषतऩयक प्र मास का स क्ष् भ ऩयक अध्ममन ककमा गमा है। चतुथभ अध् माम का शीषतक है - 'दशरत स्त्र ी िेतना एिॊ प्र ततयोध िुनी हुई कहातनमों के सन्दबत भें । प्रस् तुत अध् माम भें प्र ततयोध का ऐततहाशसक ऩरयदृश्म , दशरत स्त्र ी एिॊ प्र ततयोध का साभाजिक, आधथतक, यािनैततक, धाशभतक, साॊस् कृततक ऩरयप्रेक्ष् म का विश् रेषर् ात् भक अध्ममन ककमा गमा है। इसभें दशरत भहहराओॊ के प्र ततयोध के विशबन्न रू ऩ अॊककत ककमा गमा है। ऩॊचभ अध्माम - 'आधुतनक दशरत कहातनमों का शशकऩ एिॊ बाषा िैशशष्ट् म' भें िुनी हुई दशरत कहातनमों को शशकऩगत िैशशष्ट्म एिॊ बाषा िैशशष्ट्म के आधाय ऩय विबाजित ककमा गमा है। शशकऩ, शशकऩ का अथत, ऩरयबाषा, स् िरूऩ , शशकऩगत िैशशष्ट् म के अॊतय विषमिस् तु, कथानक, िरयत्र धित्रर् , देशकार तथा िाताियर् , शीषतक का प्र मोिन , बाषा शैरी को अनुच् छेदों भें वििेधित ककमा गमा है। बाषा शैरी भें िर्तनात्भक शैरी , आत्भकथा शैरी , स् िप्न शैरी , सॊिाद शैरी, धित्रात्भक शैरी , नाटकीम शैरी, पैटैसी आदी शैरी का वििेिनात् भक अध् ममन प्रस् तुत ककमा गमा है। आधुतनक दशरत कहातनमों की बाषा िैशशष्ट्म भें शब्द िमन के अॊतय तत्सभ तत्बि , देशि शब्द , अॊग्रेजी , अयफी पायसी को सजम्भशरत ककमा गमा है। अध्मामों के फाद ‘उऩसॊहाय’ शीषतक के अन्तगतत अध्ममन -विश्रेषर् के साय सॊऺेऩ के साथ-साथ अध् ममन का तनष् कषत प्रस् तुत ककमा गमा है। उसके फाद ‘सॊदबत ग्र ॊ थ स िी’ भें अध् ममन के शरए प्र मुक् त आधाय ग्र ॊ थों एि सहामक ग्र ॊ थों का ऩरयिम हदमा गमा है। अध् ममन के शरए उऩमोगी ऩत्रत्र काओॊ औय िेफसाइट की स िी बी तदनन् तय सभाहहत की गमी है। अॊत भें ऩरयशशश्ट के अॊतगतत अऩने प्र काशशत शोध आरेख औय ‘प्रािारयसभ रयऩोटत ’ सॊक्न है। इस शोध प्र फॊद को अऩनी ऺ भता के अनुसाय त्रु हटहीन फनाने का बयसक प्र मास भैंने ककमा है। कपय बी महद कोई त्रु हट मा कभी शेष यही है तो उसके शरए भैं ऺ भाऩाथी हॉ।